नैना निपट बंकट छबि अटके मीराबाई
नैना निपट बंकट छबि अटके
मीराबाई | शृंगार रस | भक्तिकालनैना निपट बंकट छबि अटके।
देखत रूप मदनमोहन को, पियत पियूख न मटके।
बारिज भवाँ अलक टेढी मनौ, अति सुगंध रस अटके॥
टेढी कटि, टेढी कर मुरली, टेढी पाग लट लटके।
'मीरा प्रभु के रूप लुभानी, गिरिधर नागर नट के॥
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परिचय
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