कलम या कि तलवाररामधारी सिंह 'दिनकर'

कलम या कि तलवार

रामधारी सिंह 'दिनकर' | वीर रस | आधुनिक काल

दो में से क्या तुम्हे चाहिए कलम या कि तलवार 
मन में ऊँचे भाव कि तन में शक्ति विजय अपार

अंध कक्ष में बैठ रचोगे ऊँचे मीठे गान
या तलवार पकड़ जीतोगे बाहर का मैदान

कलम देश की बड़ी शक्ति है भाव जगाने वाली, 
दिल की नहीं दिमागों में भी आग लगाने वाली 

पैदा करती कलम विचारों के जलते अंगारे, 
और प्रज्वलित प्राण देश क्या कभी मरेगा मारे 

एक भेद है और वहां निर्भय होते नर -नारी, 
कलम उगलती आग, जहाँ अक्षर बनते चिंगारी 

जहाँ मनुष्यों के भीतर हरदम जलते हैं शोले, 
बादल में बिजली होती, होते दिमाग में गोले 

जहाँ पालते लोग लहू में हालाहल की धार, 
क्या चिंता यदि वहाँ हाथ में नहीं हुई तलवार

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