सूरज के हस्ताक्षर हैं सोम ठाकुर

सूरज के हस्ताक्षर हैं

सोम ठाकुर | अद्भुत रस | आधुनिक काल

कहने को तो हम आवारा स्वर हैं 
इस वक़्त सुबह के आमंत्रण पर हैं 
हम ले आए हैं बीज उजाले के
पहचानो, सूरज के हस्ताक्षर हैं 

वह अपना ही मधुवंत कलेजा था 
जो कुटियों में भी सत्य सहेजा था 
जो प्यासे क्षण में तुम्हे मिला होगा 
वह मेघदूत हमने ही भेजा था 
उजली मंज़िल का परिचय पाने को
हम दिलगीरों से नज़र मिलाने को 
माथे को ज़्यादा ऊंचा क्या करना 
हम धरती पर ही बैठे अंबर हैं 

ये साँसे ऐसी गंध संजोती हैं 
जो सदियाँ हमसे चंदन होती हैं 
वैसे तो हम सीपी में बंद रहे 
लेकिन हम जन्म-जात ही मोती हैं 
हम कालजयी ऐसी भाषा सीखे 
जिस युग में दीखे आबदार ही दीखे 
दूसरा और आकर न स्वीकारा 
हम एक बूँद में सिमटे सागर हैं 

हम राही अनदेखी राहों वाले 
अमरौती तक लंबी बाँहों वाले 
ज्वालामुखी की आग बता देगी 
हम हैं कैसे अंतर्दाहों वाले 
अपना तेवर मंगलाचरण का हैं 
हम उठे समय का माथा ठनका है 
अंधी उलझन के वक़्त चले आना 
हम प्रश्न नही है, केवल उत्तर हैं

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