मुझे तो लहर बना रहने दो गुलाब खंडेलवाल
मुझे तो लहर बना रहने दो
गुलाब खंडेलवाल | अद्भुत रस | आधुनिक कालमुझे तो लहर बना रहने दो
हे असीम! मुझको अपनी ही सीमा में बहने दो
संध्या-ऊषा के आलिंगन
मधुर पवन के झोंके क्षण-क्षण
झड़, झंझा, पवि-पाहन-वर्षंण
सब निज पर सहने दो
यदि तुममें लय हो जाऊंगा
फिर यह तीर कहाँ पाऊंगा!
मैं तो यहीं कुटी छाऊँगा
ढहती हो, ढहने दो
जग का यह लीलाधर न्यारा
क्या,यदि मुझको लगता प्यारा!
जड़ माया का इसे पसारा
संतों को कहने दो
मुझे तो लहर बना रहने दो
हे असीम! मुझको अपनी ही सीमा में बहने दो
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परिचय
"मातृभाषा", हिंदी भाषा एवं हिंदी साहित्य के प्रचार प्रसार का एक लघु प्रयास है। "फॉर टुमारो ग्रुप ऑफ़ एजुकेशन एंड ट्रेनिंग" द्वारा पोषित "मातृभाषा" वेबसाइट एक अव्यवसायिक वेबसाइट है। "मातृभाषा" प्रतिभासम्पन्न बाल साहित्यकारों के लिए एक खुला मंच है जहां वो अपनी साहित्यिक प्रतिभा को सुलभता से मुखर कर सकते हैं।
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