आवन सुन्यो है मनभावन को भावती ने  देव

आवन सुन्यो है मनभावन को भावती ने 

देव | शृंगार रस | रीतिकाल

आवन सुन्यो है मनभावन को भावती ने 
 
आँखिन अनँद आँसू ढरकि ढरकि उठैं ।
देव दृग दोऊ दौरि जात द्वार देहरी लौँ 
 
केहरी सी साँसे खरी खरकि-खरकि उठैँ । 
टहलैँ करति टहलैँ न हाथ पाँय रँग 
 
महलै निहारि तनी तरकि तरकि उठैं ।
सरकि सरकि सारी दरकि दरकि आँगी 
 
औचक उचौहैँ कुच फरकि फरकि उठैँ ।

अपने विचार साझा करें

  परिचय

"मातृभाषा", हिंदी भाषा एवं हिंदी साहित्य के प्रचार प्रसार का एक लघु प्रयास है। "फॉर टुमारो ग्रुप ऑफ़ एजुकेशन एंड ट्रेनिंग" द्वारा पोषित "मातृभाषा" वेबसाइट एक अव्यवसायिक वेबसाइट है। "मातृभाषा" प्रतिभासम्पन्न बाल साहित्यकारों के लिए एक खुला मंच है जहां वो अपनी साहित्यिक प्रतिभा को सुलभता से मुखर कर सकते हैं।

  Contact Us
  Registered Office

47/202 Ballupur Chowk, GMS Road
Dehradun Uttarakhand, India - 248001.

Tel : + (91) - 8881813408
Mail : info[at]maatribhasha[dot]com