जौँ हौँ कहौँ रहिये केशव
जौँ हौँ कहौँ रहिये
केशव | शांत रस | रीतिकालजौँ हौँ कहौँ रहिये तो प्रभुता प्रगट होत,
चलन कहौँ तौ हित हानि नाहीँ सहनो।
भावै सो करहु तौ उदास भाव प्राण नाथ,
साथ लै चलहु कैसो लोक लाज बहनो।
केशोदास की सोँ तुम सुनहु छबीले लाल,
चले ही बनत जो पै नाहीँ राज रहनो।
जैसिये सिखाओ सीख तुम ही सुजान प्रिय,
तुमहिँ चलत मोहि जैसो कछु कहनो।
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परिचय
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