क्यूँ वक़्त को, वक़्त पर छोड़ा नही जा सकता
क्यूँ वक़्त को, वक़्त पर छोड़ा नही जा सकता !
आगे का वक़्त, पहले ही जान जाये ,
पहले का वक़्त ,हर वक़्त याद आये,
ऐसे विचारों को बेवक़्त मोड़ा नहीं जा सकता !
क्यूँ वक़्त को, वक़्त पर छोड़ा नही जा सकता !!
जो हो रहा , या हो चुका है,
वो बीत जायेगा वक़्त के साथ ,
बुरावक़्त गुजरकर ,
इक नयावक़्त आएगा हाथ ,
फिर भी उम्मीदों के तारतम्य को तोडा नही जा सकता !
क्यूँ वक़्त को, वक़्त पर छोड़ा नही जा सकता !!