आज की सरकार
चीख-चीख रोता है मेरा दिल,भारत के हालातों पर।
मेरी कलम,नहीं लिख पाती गीत-प्रेम मुलाकातों पर।।
मैंने भारत माता को अक्सर रोते हुए देखा है,
और वतन की सरकारों को सोते हुए देखा है।।
रामदेव-अन्ना भी गए,सरकार की इस खटाई में,
शांति के साथ चतुराई भी गयी, अन्याय की इस लड़ाई में।।
आज ये सरकारें गुंडागर्दी करती हैं,
रक्षक ही भक्षक बन बैठे,जनता इनसे डरती है।।
मैंने भू पर रश्म-रथी का घोडा रुकते देखा है,
पांच तमंचो के आगे दिल्ली को झुकते देखा है।।
जो नेता संसद में, देश की इज़्ज़त उछाला करते हैं,
और देश की आँखों में,अक्सर मिर्च डाला करते हैं।।
खादी और खाकी, दोनों ही अब मर्यादा से दूर हुए।
चरित्रहीन- नेता बन बैठे,दौलत के नशे में चूर हुए।।
ये तो सत्याग्रह की आवाज है, गर्मजोशी अभी हुई कहाँ?
इतने में सरकार लुट गयी है, नौजवान उतरेंगे तो भागेगी कहाँ?
उठो युवाओं, क्रांति करो, अब बदलाव जरूरी है।
तख़्त गिराओ, ताज उछालो ,अब इंकलाब जरूरी है।।