वर्कशाॅप Anupama Ravindra Singh Thakur
वर्कशाॅप
Anupama Ravindra Singh Thakurकरने हमारी समस्याओं का तारन,
बँगलूर से सी.सी.ई समझाने आए मिस्टर साजन।
सभी के गले में पहचान पत्र लटक रहे थे,
सभी प्रफुल्लित मन से सोच रहे थे,
आज होगा सभी रहस्यों से पर्दाफाश,
आज मिस्टर साजन बताएँगे क्या है सी.सी.ई में ऐसा खास।
पर सभी का सर चकराया,
कुछ भी समझ में न आया,
जब उन्होंने हमसे पेपर का पहचान पत्र बनवाया।
सभी एक दूसरे को ताकने लगे,
सौ-सौ प्रश्न एक साथ हृदय में झाँकने लगे,
परंतु प्रश्नों के उठते तूफान को हमने वहीं दबा दिया,
एक आज्ञाकारी बालक की तरह निर्देश का पालन किया,
कागज का पहचान पत्र बनाकर गले में लटका दिया।
उनके दूसरे निर्देश पर हुई हमें और भी हैरानी,
लिखकर अपनी परेशानी,
दीवार पर थी चिपकानी,
अंतिम बार हमने करुणापूर्ण नज़रों से
साफ-सुथरी दीवार को निहारा,
फिर मन में यह विचारा,
रोकी जा सकती थी कई कागज़ों की बरबादी,
अगर मिस्टर साजन हमें देते थोड़ी सी बोलने की आज़ादी।
कुछ शिक्षक दिख रहे थे बहुत ही उत्साहित,
क्योंकि वर्कशॉप पर थे वे अनुपस्थित,
अगले दिन आते ही उन्होंने प्रश्न का चैका मारा,
कैसा था वर्कशॉप यह प्रश्न विचारा।
हमने अपनी सारी पीड़ा को मन में छिपाया,
चेहरे पर हँसी का मुखौटा चढ़ाया,
और कहा, अद्भुत, अद्वितीय, अति उत्तम,
वे भी मुस्कुराए और कहा तो बताओ सीसीई क्या है?
हमने कहा सीसीई और कुछ नहीं,
मिस्टर साजन की बहन जो पहले आॅस्ट्रेलिया में रहती थी
आजकल न्यूज़ीलैंड में जापानी पढ़ाती है,
उनकी पत्नी जो एक पढ़ी-लिखी महिला है,
फिर भी बेटे के पीछे पढ़ाई के लिए पड़ती है,
मिस्टर साजन जो कम्प्यूटर के बहुत अच्छे ज्ञाता हैं,
उन्हें केक बनाना भी बहुत अच्छा से आता है।
सीसीई कुछ और नहीं
विदेशी शिक्षा की एक नकल है,
हमारे शिक्षा मंत्रियों के दिमाग का खोखलापन है,
किसी रिसोर्स पर्सन की रोज़ी-रोटी है,
तो हम जैसे शिक्षकों के लिए माथाफोड़ी है।