भारत की सड़कें Anupama Ravindra Singh Thakur
भारत की सड़कें
Anupama Ravindra Singh Thakurभारत की ये उबड़-खाबड़ सड़कें,
हर कोई चले इन पर डर -डर के,
कहीं गोबर पड़ा
तो कहीं कचरा सड़ा,
कहीं खड्डा पड़ा
तो कहीं रिक्शा खड़ा।
कहीं धूल उड़ी,
तो कहीं गाय खड़ी,
कौन कहाँ से निकले
यह समस्या है बड़ी।
इंसानों की भीड़ में,
भैंस, बकरियाँ भी हैं खड़ी।
भारत का लोकतंत्र सचमुच है विशाल,
यहाँ मानव और पशु की एकता है बेमिसाल,
यातायात के नियमों का नहीं किसी को डर,
बेफिक्र होकर चलते इन्सान हों या जानवर।
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टूटी-फूटी और उबड़-खाबड़ सड़क पर यात्रा करने की बात आते ही यात्रियों का मूड ख़राब हो जाता है। कोई ज़रुरत पड़ने पर लगता है जैसे इस पर चलने की सज़ा दी जा रही हो। लोगों को ताज्जुब तब होता है जब जनप्रतिनिधि भी इस राह से खड़बड़ाते गुज़र जाते हैं और उन्हें मार्ग की दुर्दशा बारे में कोई तरस नहीं आता।