भय Anupama Ravindra Singh Thakur
भय
Anupama Ravindra Singh Thakurहर किसी को है कोई ना कोई भय,
भय से ही होता है शारीरिक क्षय।
किसी को मृत्यु का भय,
तो किसी को असफलता का भय,
किसी को ऊँचाई का भय,
तो किसी को जल का भय।
किसी को आग का भय,
तो किसी को अंधकार का भय,
जब तक नहीं पाओगे भय पर जय,
तब तक जीवन लगेगा संकटमय।
भय के कारण ही मिलेगी केवल परजय,
जीवन लगेगा नीरस, बेबस और चिंतामय,
अगर बनाना चाहते हो जीवन को आनंदमय,
तो उठो, करो पहले यह दृढ़ निश्चय,
बिना डरे लूँगा मैं हर निर्णय,
पहल करूँगा हर वक्त,
झटका कर निकाल फेंकूँगा भय,
विचलित हुए बिना दूँगा अपने हौसले का परिचय।
आगे बढूँगा हर वक्त होकर मैं निर्भय,
तभी तो होगा मेरा और मेरे देश का अभ्युदय,
अपने कृतित्व से कर दूँगा मैं सबका जीवन मंगलमय,
हे ईश्वर ऐसी शक्ति देना आनामय,
देश की गरिमा रख सकूँ अक्षय।