ग्लोबल वार्मिंग  Rajender कुमार Chauhan

ग्लोबल वार्मिंग

Rajender कुमार Chauhan

धरा के धरातल का
अब शोध हो गया है,
ग्लोबल वार्मिंग का
भयंकर रोग हो गया है!
मानव मष्तिष्क का ही
क्रिया कलाप है ये सब,
ये मत समझिये कि
मात्र संयोग हो गया है!
 

एक जुट होकर अगर
पर्यावरण नहीं बचाएँगे,
दूषित हवा का अर्थ
जन को नहीं समझाएँगे,
हरे भरे इन जंगलों को
आग निगल जाएगी,
प्रकृति से पर्यावरण का
वियोग हो गया है!
 

गर्मी की ये "गरिमा"
बढ़ती ही जा रही है,
मौसम की महिमा भी
अब रंग दिखा रही है!
कब जागोगे कुम्भकरण?
जब सब स्वाह हो जाएगा?
श्वास का शरीर में
विष भोग हो गया है!
 

सम्भव है ये "अुनभव"
कुछ काम आ जाए,
भला हो नई पीढ़ी का
बड़ों का नाम आ जाए!
रोप रहे हैं नई-नई किस्में
पेड़ पौधों की जन जाति,
शुद्ध विशुद्ध का भी
अब सम्भोग हो गया है!
 

सुबह सवेरे सैर को जाईये,
हो सके तो योग कीजिए,
समय का अति सुन्दर
उपयोग कीजिए!
स्वच्छ वायु! जी हाँ,
दीर्घायु का वरदान है,
स्वस्थ रहने का
पक्का प्रयोग हो गया है!

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