सूर्य नारायण देवता Anupama Ravindra Singh Thakur
सूर्य नारायण देवता
Anupama Ravindra Singh Thakurसूर्य नारायण देवता
अब तो बाहर आ जाओ,
खूब हो गई लुका-छुपी
अब तो दर्शन दे जाओ।
ठंडी ने भी खूब सताया
बच्चा बूढ़ा सब थरथरया,
पशु-पक्षियों ने भी प्राण गँवाया,
अब तो तरस खा जाओ,
खूब हो गई लुका-छुपी
अब तो बाहर आ जाओ।
इस कडकड़ाती सर्दी में
गरीब रात भर सिकुड़ता है,
आपके आने से चैन
घड़ी भर उसे मिलता है।
बिना कोई मोल चुकाए
स्वर्णिम धूप हो पाता है,
स्वस्थ वर्धनी किरणों से
तंदुरुस्ती की सौगात वह पाता है।
जीवन को गति देने वाले
अब ना हमें यूँ तरसाओ,
खूब हो गई लुकाछिपी
अब तो बाहर आ जाओ।
ना हो अगर आप तो
जीवन यहीं थम जाएगा,
सृष्टि का सर्वनाश होगा
कोई नहीं बच पाएगा।
एक समय ऐसा भी आया,
बाल हनुमान ने फल जानकर
आपको मुंह में दबाया,
एक ही पल में संसार में
सब तरफ अंधकार छाया,
संसार का हाल देखकर
देवलोक भी घबराया।
होगा संसार का सर्वनाश
सबने हनुमान को यह समझाया,
किया मुक्त आपको
सारे जगत को बचाया,
आप के बिना जीवन संभव नहीं
यह सबकी समझ में आया।
भूल हो गई हमसे तो
अब तो क्षमा दे जाओ,
खूब हो गई लुका-छिपी
अब तो बाहर आ जाओ।