प्रार्थना  Anupama Ravindra Singh Thakur

प्रार्थना

Anupama Ravindra Singh Thakur

हे! प्रभु मुझको इतना बलवान बनाओ
संकट में भी हँंस मुख रह पाऊँ,
रात्री मे जब नेत्र खुलें
तब हर ओर आपको ही पाऊँ।
 

अभिमान, दंभ, इर्श्या का सर्वनाश हो
क्योंकि तू मुझमें समा जाए,
और मैं तुझमें समा जाऊँ।
 

सब छोड़ मोह-माया
तुझ से एकाकार हो जाऊँ,
हे! प्रभु मुझको इतना बलवान बनाओ।
 

सब कुछ है तेरा
सब कुछ तू ही है करने वाला,
फिर क्यों मैं चिंताग्रस्त बन जियूँ,
सारी चिंताएँ तेरे चरणों में छोड़
मैं निश्चिंत हो तेरी धूनी रमाऊँ,
हे! प्रभु मुझको इतना बलवान बनाओ।
 

न मैं देखूँ उस ओर
जहाँ सुख ही सुख है चहूँ ओर,
अभावों में भी जीवन जीकर
संतुष्ट हैं नारी-नर
देख उनको, संकटों का सामना करूँ,
तेरे हर क्षण को निर्भय होकर
खुशी से जियूँ,
हे! प्रभु मुझको इतना बलवान बनाओ।
 

जीवन के इस अनमोल उपहार को पहचानूँ
नित उठ स्वयं को भाग्यवान मानूँ,
अंध, बधीर, न विकलांग तूने मुझे बनाया
स्वस्थ शरीर को ही आपनी सबसे बड़ी
पूंजी मानूँ।
हे! कृपानिधान स्वयं को मैं सौभाग्यशाली मानूंँ,
हे! प्रभु मुझको इतना बलवान बनाओ
संकट में भी हँंस मुख रह पाऊँ।

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