प्रताड़ित मजदूर Rajender कुमार Chauhan
प्रताड़ित मजदूर
Rajender कुमार Chauhanना बीमार मैं ना ही स्वस्थ हूँ,
रोज़ी रोटी कमाने में व्यस्त हूँ,
मज़दूर का हूँ मुरझाया चेहरा,
दिखने में मैं चुस्त दुरुस्त हूँ!
समय से अधिक काम कराएँ,
वेतन दे कर एहसान दिखाएँ,
गाली गलौच दें मुफ्त में तोहफा,
कामचोरी का इल्जाम लगाएँ,
हालाँकि काम में सिद्ध हस्त हूँ!
बच्चे बीमारियों का शिकार हैं,
मालिक भी करते दुर्व्यवहार हैं,
कौन समझेगा गरीब की व्यथा,
पैसे बिन जीना कितना दुशवार है,
रूखी सूखी खाकर भी मस्त हूँ!
दरिद्रता ने ज्यादा पढ़ने ना दिया,
कुपोषण ने शरीर बढ़ने ना दिया,
भाग्य विडम्बना का दोष किसे दूँ,
निरक्षरता ने ऊपर चढ़ने ना दिया,
बिन पौष्टिक भोजन खाये तृप्त हूँ!
छुट्टियों से मेरा क्या सरोकार है?
कठिन परिश्रम मेरा कारोबार है?
न्यूनतम मजदूरी का हकदार हूँ मैं,
"यूँ कहने को" मेरे साथ सरकार है!
हिम्मत-हौंसला, दोनों से पस्त हूँ!