जनक्रांति Anupama Ravindra Singh Thakur
जनक्रांति
Anupama Ravindra Singh Thakurहे नारायण मुझको ऐसा वरदान दो,
कुछ ऐसा लिखूँ,
जन-जन में क्रांति का संचार हो।
नस-नस में स्फूर्ति और
देशभक्ति का प्रवाह हो,
घर-घर से हर बालक-बालिका
मातृभूमि पर मिटने तैयार हो,
हे जनार्दन मुझको ऐसा वरदान दो।
राष्ट्रद्रोहियों के सर कट जाएँ
कलम मेरी तलवार हो,
अबला, निर्बला, बेबस का अभिशाप मिटाकर
हर स्त्री रणचंडी का अवतार हो,
हे यशोदा नंदन मुझको ऐसा वरदान दो।
मेरी कलम कुछ ऐसा कर दे
भ्रष्टाचार का नामोनिशान ना हो,
हर अत्याचारी थरथर काँपे
नरसिंह का पुनः अवतार हो,
हे जगन्नाथ मुझको ऐसा वरदान दो।
मेरे सैनिकों के पास भी
दिव्य अस्त्र-शस्त्रों का भंडार हो,
शत्रुओं को नेस्तनाबूद कर दे
हर तरफ भारत की जय जयकार हो,
हे देवाधिदेव मुझको ऐसा वरदान दो।