ऐ ज़िन्दगी जरा थम जा Anupama Ravindra Singh Thakur
ऐ ज़िन्दगी जरा थम जा
Anupama Ravindra Singh Thakurऐ ज़िन्दगी जरा थम जा
अभी तो खुशी के पल आए हैं,
दुख में तू बैठ जाती है
बहुत ही
इत्मीनान रखती जाती है
फिर आज क्यों तूने पंख लगाए हैं ?
जरा घड़ी भर ठहर जा
ऐ ज़िन्दगी जरा थम जा
अभी तो खुशियों के पल आए हैं
खुशियाँ भी सहमी सी लगती हैं
कभी ज्यादा तो कभी कम लगती हैं
क्षण में आती और क्षण में चली जाती है
पर ज़िन्दगी का तजुर्बा दे जाती है
हर क्षण को जी लेने दे जरा
तू घड़ी भर ठहर जा
ऐ ज़िन्दगी जरा थम जा
अभी तो खुशियों के पल आए हैं ।