परीक्षा भवन में अध्यापक की आँखें Anupama Ravindra Singh Thakur
परीक्षा भवन में अध्यापक की आँखें
Anupama Ravindra Singh Thakurये आँखें सब देख लेती हैं,
कौन प्रश्न को केवल निहार रहा है,
तो कौन केवल बगले झाँक रहा है,
तो कौन दूसरों को ताक रहा है,
ये आँखें ! सब देख लेती हैं।
कौन व्यर्थ में
समय गँवाकर
पछता रहा है,
और कौन उटपटांग लिखकर
शर्मा रहा है।
कौन सामने वाले से
उम्मीद लगा रहा है,
तो कौन पीछे वाले को
कोस रहा है,
ये आँखें ! सब देख लेती हैं।
कोई खुश है
कि सब कुछ
याद आ रहा है,
कोई हैरान है
कि पढ़ा हुआ भी
भूलता जा रहा है।
कोई आसमां में
शून्य को ताक रहा है,
तो कोई अंगुलि मरोड़ रहा है,
ये आँखें ! सब देख लेती हैं।
कोई परीक्षा भवन में बैठा
उपद्रवी भी
गंभीर नज़र आ रहा है,
तो कोई धीरे से
जेब में हाथ डाले
ईमानदारी का
ढोंग रचा रहा है।
कोई रटा-रटाया ज्ञान
पेपर पर उलटता जा रहा है
तो कोई परेशानी में
नाखून चबाते,
मायूस, बेबस और लाचार
नज़र आ रहा है,
ये आँखें ! सब देख लेती हैं।