ऊँचा ये तिरंगा गगन छुए Aman Kumar Singh
ऊँचा ये तिरंगा गगन छुए
Aman Kumar Singhऐ देश मेरे, ऐ देश मेरे,
ऊँचा ये तिरंगा गगन छुए,
फिर मुझमें मेरी चाहे जान न हो,
बस दिल में तेरा अरमान रहे।
ऐ देश मेरे, सुन देश मेरे,
तेरे खातिर हम गर मर न सके,
तेरी आन के खातिर कुछ कर न सके,
तो जीना हमारा किस काम आया,
हर साँस में न जो तेरा नाम आया।
तेरे आँचल में हम सोते हैं,
हम तुझसे ही तो होते हैं,
तूने जो हमें आबाद किया,
अब तू ही हमें कोई राह दिखा,
मैं तुझमें ही तो बसता हूँ,
अब तू भी मुझमें बस जा रे।
मैं तेरे कदमों की पग-धूलि बनूँ,
और दुश्मन की राह का शूल बनूँ,
तू इतनी दुआ बस दे मुझको,
मैं तेरे चमन का फूल बनूँ,
मेरे देश तू हरदम हँसता रहे,
और सबके दिलों में बसता रहे।
जब तेरा नाम ज़हन में आता है,
और राष्ट्रगान बज जाता है,
तब मेरे देश के माँ के लालों का,
कुर्बान-ए-वतन रखवालों का,
रोम-रोम चिल्लाता है,
ऐ देश मेरे, ऐ देश मेरे,
ऊँचा ये तिरंगा गगन छुए।