नीड का निर्माण Anupama Ravindra Singh Thakur
नीड का निर्माण
Anupama Ravindra Singh Thakurसंघर्ष क्या है
कोई इन पंछियों से पूछे,
अभी पंख भी नहीं निकले हैं
फिर भी हवा के तेज़ थपेडों से
मुकाबला हो रहा है,
बारिश की मार को
झेलने का हौसला बुलंद है।
परिस्थितियों का जहर है
इनके हिस्से भी है,
फिर भी शिकायत के लिए
ज़ुबान नहीं है।
बेबसी और लाचारी में भी
उड़ने का दम भरते हैं,
नहीं किसी पर क्रोध
नहीं शिकवा करते हैं।
तेज़ उठते तूफ़ान
उड़ा ले जाते हैं
इनका आशियाना,
फिर भी निर्बल असहाय
और लाचारी
पर नहीं रोते हैं,
फिर पंखों को फड़फड़ाकर
ऊँची उड़ान भरते हैं,
फिर दोगुनी हिम्मत से
नए नीड का निर्माण करते हैं।