मोरे रामलला  Anupama Ravindra Singh Thakur

मोरे रामलला

Anupama Ravindra Singh Thakur

रूप सलोना
मोरे रामलला का
वारी-वारी जाऊँ मैं,
कमल नयन पर
बलहारी हो
बलहारी जाऊँ मैं।
 

अधरों पर मंद-मंद मुस्कान
आँखों में छठा निराली है,
जगत के पालनहार कौशल्या नंदन पर
न्योछावर हो,
न्योछावर जाऊँ मैं।
 

भाल तिलक सुशोभित
सुंदर रत्नजड़ित गलमाला,
कर बृहत शारंग धरे
हरिद्राभ धुनोति सोहे,
शांत स्वरूपा,
आनंदमयी दशरथ नंदन पर
बलहारी हो
बलहारी जाऊँ मैं।
 

ओजस्वी छटा बिखेरे
धूम-धाम संग गाजे- बाजे,
भक्तगण झूम नाचे
रामलला
आज अवध बिराजे।
सर्वेश्वर, सर्वव्यापक
नारायण पर
बलहारी हो
बलहारी जाऊँ मैं।
 

उनकी अनुपम आभा
पर वारी -वारी जाऊँ मैं,
उनकी अनोखी काया पर
न्योछावर हो जाऊँ मैं।

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