वहशी कौन? Anupama Ravindra Singh Thakur
वहशी कौन?
दरअसल आदमी से ज्यादा बेहतर, संवेदनशील और तरक्कीपसंद होने के साथ-साथ घटिया, कोई दूसरा प्राणी इस पृथ्वी पर है ही नहीं। अपने आपको ईश्वर की श्रेष्ठ कृति बताने वाला यह प्राणी अपनी घटिया हरकतों को पाश्विक या जानवरों जैसा व्यवहार करने में बिलकुल भी संकोच नहीं करता।
वीणा एक कुशल गृहणी के साथ-साथ बहुत ही कोमल हृदया स्त्री है। घर कार्य में स्वयं को समर्पित कर, न केवल परिवार के सदस्यों का ध्यान रखती है बल्कि पशु- पक्षियों के लिए भी वह उतनी ही संवेदनशील है। प्रतिदिन रात्रि समय में वह गली के पालतू कुत्ते-कुत्तियों को नियमित रूप से रोटी डालना ना भूलती। गली की वह कुतिया जिसे बहुत खुजली हो गई थी उसने 6 बच्चों को जन्म दिया, उसके छोटे-छोटे बच्चे बड़े प्यारे लगते पर जैसे-जैसे वे बच्चे बढ़ने लगे उनके भी सारे शरीर पर खुजली हो गई और धीरे-धीरे वे समय से पहले ही एक-एक कर असमय ही काल के गर्भ में समाने लगे। केवल एक ही बच्चा बचा जो दिन भर खुजलाता रहता। जैसे-तैसे उनके जीवन में सब कुछ ठीक ही चल रहा था। कुल मिलाकर खुजली वाली कुतिया जिसका बच्चों ने आलिया नाम रखा, उसका एक बच्चा और एक कुत्ता सब साथ में रह रहे थे, पर जैसे ही सर्दियाँ प्रारंभ हुई कुछ खूंखार कुत्तों की टोली गली में नज़र आने लगी।
वे सभी आलिया के पीछे-पीछे रहते। कोई उसे बैठने भी नहीं देता। उन चार-पाँच कुत्तों की कामुकता की वह अकेली शिकार बन रही थी। उसके दर्द में चिल्लाने एवं सतत कराहने तथा चिड़चिड़ाहट में भौंकने की आवाज से वीणा विचलित हो जाती। वह उन कुत्तों को पत्थर मारकर भगाने का प्रयास करती पर वे कुत्ते कुछ समय के लिए वहाँ से हट जाते परंतु आलिया का पीछा ना छोड़ते, आलिया दौड़-दौड़ कर बहुत थक गई थी, जगह-जगह उसके शरीर से खून निकल रहा था, आलिया की स्थिति देख कर वीणा बहुत उदास थी।
क्या करें उसकी समझ में नहीं आ रहा था। तभी उसने दूरदर्शन पर समाचार सुना कि उत्तर प्रदेश के हाथरस नामक गाँव में एक युवती का सामूहिक बलात्कार किया गया, बलात्कारियों ने पीड़िता की रीढ़ की हड्डी तोड़ दी है तथा उसकी जुबान भी काट दी है और उसे जहर देकर मार दिया। यह समाचार सुनकर वीणा के शरीर पर रोंगटे खड़े हो गए। उसे उस समय आलिया का ध्यान आया पर वह ज़िंदा थी और समय-समय पर अपना विरोध भी प्रकट कर रही थी।
वीणा के मन में जितनी घृणा उन कुत्तों के प्रति थी उससे अधिक घृणा मनुष्य के प्रति हो गई। वह सोचने लगी कि मनुष्य कुत्तों से भी अधिक वहशी, दरिंदा, हैवान, जंगली और खूंखार जानवर है।