कालजयी कविताएँ

हिंदी साहित्य की कालजयी कविताओं का संकलन





फणीश्वर नाथ रेणु

सुंदरियो

फणीश्वर नाथ रेणु

शांत रस | आधुनिक काल

 960  0

मैथिलीशरण गुप्त

एकांत में यशोधरा

मैथिलीशरण गुप्त

करुण रस | आधुनिक काल

 1763  0

रामधारी सिंह 'दिनकर'

परम्परा

रामधारी सिंह 'दिनकर'

शांत रस | आधुनिक काल

 1224  0

त्रिलोचन

अगर चाँद मर जाता

त्रिलोचन

शांत रस | आधुनिक काल

 1022  0

कुम्भनदास

हमारो दान देहो गुजरेटी।

कुम्भनदास

अद्भुत रस | भक्तिकाल

 1217  0

मीराबाई

मोरे ललन

मीराबाई

शृंगार रस | भक्तिकाल

 1459  0

अशोक चक्रधर

मेमने ने देखे जब गैया के आंसू

अशोक चक्रधर

अद्भुत रस | आधुनिक काल

 999  0

गोपालदास ‘नीरज’

तिमिर ढलेगा

गोपालदास ‘नीरज’

वीर रस | आधुनिक काल

 1597  0

गोपाल सिंह नेपाली

चौपाटी का सूर्यास्त

गोपाल सिंह नेपाली

अद्भुत रस | आधुनिक काल

 947  0

माखनलाल चतुर्वेदी

मधुर! बादल, और बादल, और बादल

माखनलाल चतुर्वेदी

अद्भुत रस | आधुनिक काल

 924  0

हरिओम पंवार

बागी हैं हम इन्कलाब के गीत सुनाते जायेंगे

हरिओम पंवार

वीर रस | आधुनिक काल

 2393  0

मीराबाई

दूसरो न कोई

मीराबाई

शृंगार रस | भक्तिकाल

 1665  0

भवानी प्रसाद मिश्र

अन्दाज़

भवानी प्रसाद मिश्र

अद्भुत रस | आधुनिक काल

 959  0

गजानन माधव 'मुक्तिबोध'

जब दुपहरी ज़िन्दगी पर

गजानन माधव 'मुक्तिबोध'

अद्भुत रस | आधुनिक काल

 945  0

त्रिलोचन

सब का अपना आकाश

त्रिलोचन

शांत रस | आधुनिक काल

 1063  0

मंगलेश डबराल

यहाँ थी वह नदी

मंगलेश डबराल

शांत रस | आधुनिक काल

 981  0

गयाप्रसाद शुक्ल 'सनेही'

कोयल

गयाप्रसाद शुक्ल 'सनेही'

शांत रस | आधुनिक काल

 1011  0

सोम ठाकुर

चाँदनी उछालता गुलाब

सोम ठाकुर

शांत रस | आधुनिक काल

 1014  0

गुलाब खंडेलवाल

अब तो स्वरमय प्राण हमारे

गुलाब खंडेलवाल

शांत रस | आधुनिक काल

 961  0

महादेवी वर्मा

माँ के ठाकुर जी भोले हैं

महादेवी वर्मा

शांत रस | आधुनिक काल

 1150  2

नरेन्द्र शर्मा

चलो हम दोनों चलें वहां

नरेन्द्र शर्मा

अद्भुत रस | आधुनिक काल

 1029  0

सोम ठाकुर

खिडकी पर आंख लगी

सोम ठाकुर

अद्भुत रस | आधुनिक काल

 993  0

कुमार विश्वास

उनकी ख़ैरो-ख़बर नहीं मिलती

कुमार विश्वास

शृंगार रस | आधुनिक काल

 1353  0

सुमित्रानंदन पंत

मातृ वंदना

सुमित्रानंदन पंत

शांत रस | आधुनिक काल

 1104  1

महाकवि बिहारीलाल

हो झालौ दे छे रसिया

महाकवि बिहारीलाल

शृंगार रस | रीतिकाल

 1193  0

नामवर सिंह

धुंधुवाता अलाव

नामवर सिंह

अद्भुत रस | आधुनिक काल

 1017  0

कुमार विश्वास

दुःखी मत हो

कुमार विश्वास

करुण रस | आधुनिक काल

 1963  0

गुलाब खंडेलवाल

अपने रँग में मुझे रँगा दो 

गुलाब खंडेलवाल

शांत रस | आधुनिक काल

 1072  0

उदय प्रकाश

कुछ बन जाते हैं

उदय प्रकाश

शृंगार रस | आधुनिक काल

 229  0

गुलज़ार

न आने की आहट

गुलज़ार

शृंगार रस | आधुनिक काल

 1318  0



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