कालजयी कविताएँ

हिंदी साहित्य की कालजयी कविताओं का संकलन





नरेन्द्र शर्मा

साथी चाँद

नरेन्द्र शर्मा

शांत रस | आधुनिक काल

 1020  0

घनानंद

भोर तें साँझ लौ कानन ओर निहारति 

घनानंद

शृंगार रस | रीतिकाल

 1121  0

धर्मवीर भारती

साँझ के बादल

धर्मवीर भारती

शांत रस | आधुनिक काल

 1031  0

शिवमंगल सिंह 'सुमन'

पर आँखें नहीं भरीं

शिवमंगल सिंह 'सुमन'

शृंगार रस | आधुनिक काल

 1466  0

महाकवि बिहारीलाल

जाके लिए घर आई घिघाय

महाकवि बिहारीलाल

अद्भुत रस | रीतिकाल

 1092  0

रामधारी सिंह 'दिनकर'

कुरुक्षेत्र / तृतीय सर्ग / भाग 2

रामधारी सिंह 'दिनकर'

वीर रस | आधुनिक काल

 1253  0

रहीम

जिहि कारन बार न लाये कछू

रहीम

अद्भुत रस | भक्तिकाल

 1133  0

हरिवंश राय बच्चन

ऐसे मैं मन बहलाता हूँ

हरिवंश राय बच्चन

शांत रस | आधुनिक काल

 1162  0

रामधारी सिंह 'दिनकर'

सिपाही 

रामधारी सिंह 'दिनकर'

वीर रस | आधुनिक काल

 2263  0

प्रभाकर माचवे

राही से

प्रभाकर माचवे

शांत रस | आधुनिक काल

 959  0

सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’

राम की शक्ति पूजा

सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’

वीर रस | आधुनिक काल

 1620  0

नरेन्द्र शर्मा

हर लिया क्यों शैशव नादान

नरेन्द्र शर्मा

अद्भुत रस | आधुनिक काल

 882  0

कुम्भनदास

माई हौं गिरधरन के गुन गाऊँ।

कुम्भनदास

शांत रस | भक्तिकाल

 1098  0

गुलज़ार

इक इमारत

गुलज़ार

शांत रस | आधुनिक काल

 875  0

घनानंद

वहै मुसक्यानि, वहै मृदु बतरानि, वहै

घनानंद

शृंगार रस | रीतिकाल

 1148  0

नरोत्तमदास

सुदामा चरित

नरोत्तमदास

अद्भुत रस | आधुनिक काल

 922  0

राजेश रेड्डी

मिट्टी का जिस्म लेके मैं पानी के घर में हूँ

राजेश रेड्डी

अद्भुत रस | आधुनिक काल

 1049  0

प्रदीप

मेरे मन हँसते हुए चल

प्रदीप

शांत रस | आधुनिक काल

 968  0

हरिवंश राय बच्चन

आत्‍मपरिचय

हरिवंश राय बच्चन

शांत रस | आधुनिक काल

 1140  0

गुलाब खंडेलवाल

मुझे तो लहर बना रहने दो

गुलाब खंडेलवाल

अद्भुत रस | आधुनिक काल

 1018  0

कुम्भनदास

कितै दिन ह्वै जु गए बिनु देखे।

कुम्भनदास

शांत रस | भक्तिकाल

 1125  0

हरिओम पंवार

आजादी के टूटे-फूटे सपने लेकर बैठा हूँ

हरिओम पंवार

करुण रस | आधुनिक काल

 1410  0

वृन्दावनलाल वर्मा

विनोद 

वृन्दावनलाल वर्मा

शांत रस | आधुनिक काल

 841  0

भवानी प्रसाद मिश्र

निरापद कोई नहीं है

भवानी प्रसाद मिश्र

अद्भुत रस | आधुनिक काल

 909  0

ठाकुर

वा निरमोहिनि रूप की रासि न

ठाकुर

शृंगार रस | रीतिकाल

 1144  0

देव

आवन सुन्यो है मनभावन को भावती ने 

देव

शृंगार रस | रीतिकाल

 1128  0

चंदबरदाई

तन तेज तरनि ज्यों घनह ओप

चंदबरदाई

वीर रस | भक्तिकाल

 1549  0

नामवर सिंह

बुरा ज़माना

नामवर सिंह

शांत रस | आधुनिक काल

 928  0

प्रदीप

चलो चलें मन सपनो के गाँव में

प्रदीप

अद्भुत रस | आधुनिक काल

 927  0

प्रभाकर माचवे

प्रेम: एक परिभाषा

प्रभाकर माचवे

शांत रस | आधुनिक काल

 853  0



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