काव्यशाला - शांत रस की कविताएं

हिंदी साहित्य के शांत रस की कालजयी कविताओं का संकलन





जग के उर्वर आँगन में

सुमित्रानंदन पंत

शांत रस | आधुनिक काल

 1078  0

स्वर की तरंगें

सोम ठाकुर

शांत रस | आधुनिक काल

 1016  0

हरित फौवारों सरीखे धान

नामवर सिंह

शांत रस | आधुनिक काल

 910  0

सहमते स्वर-5 

शिवमंगल सिंह 'सुमन'

शांत रस | आधुनिक काल

 1047  0

क्या है मेरी बारी में

हरिवंश राय बच्चन

शांत रस | आधुनिक काल

 1088  0

किस बाग़ में मैं जन्मा खेला 

प्रदीप

शांत रस | आधुनिक काल

 1003  0

दाने

केदारनाथ सिंह

शांत रस | आधुनिक काल

 955  0

इस अहद के इन्साँ मे वफ़ा ढूँढ रहे हैं

राजेश रेड्डी

शांत रस | आधुनिक काल

 1102  0

रात चुपचाप दबे पाँव

गुलज़ार

शांत रस | आधुनिक काल

 1092  0

तब मानव कवि बन जाता है

गोपालदास ‘नीरज’

शांत रस | आधुनिक काल

 1084  0

जयंती या पुण्य तिथि

प्रभुदयाल श्रीवास्तव

शांत रस | आधुनिक काल

 959  0

धूप सा तन दीप सी मैं

महादेवी वर्मा

शांत रस | आधुनिक काल

 1050  0

मैं पूछता हूँ

पाश

शांत रस | आधुनिक काल

 1081  0

नाश देवता

गजानन माधव 'मुक्तिबोध'

शांत रस | आधुनिक काल

 829  0

जीवन गाते-गाते बीते 

गुलाब खंडेलवाल

शांत रस | आधुनिक काल

 934  0

सदा चाँदनी 

बालकृष्ण शर्मा 'नवीन'

शांत रस | आधुनिक काल

 1058  0

खुला रहने दो

रांगेय राघव

शांत रस | आधुनिक काल

 983  0

यह तो शीशमहल है

गुलाब खंडेलवाल

शांत रस | आधुनिक काल

 992  0

बेवजह दिल पे कोई

उर्मिलेश

शांत रस | आधुनिक काल

 1100  0

कोजागर

नामवर सिंह

शांत रस | आधुनिक काल

 877  0

पालतू

प्रभाकर माचवे

शांत रस | आधुनिक काल

 876  0

लो दिन बीता लो रात गयी

हरिवंश राय बच्चन

शांत रस | आधुनिक काल

 1103  0

तुझको पथ कैसे सूझेगा 

गुलाब खंडेलवाल

शांत रस | आधुनिक काल

 986  0

एक किरण आई छाई

सोहनलाल द्विवेदी

शांत रस | आधुनिक काल

 898  0

श्री यमुने अगनित गुन गिने न जाई ।

कुम्भनदास

शांत रस | भक्तिकाल

 1117  0

राजा वसन्त वर्षा ऋतुओं की रानी

रामधारी सिंह 'दिनकर'

शांत रस | आधुनिक काल

 1055  0

पक्षी और बादल

रामधारी सिंह 'दिनकर'

शांत रस | आधुनिक काल

 1068  0

अपनेपन का मतवाला

गोपाल सिंह नेपाली

शांत रस | आधुनिक काल

 1113  0

इस तरह ढक्कन लगाया रात ने

माखनलाल चतुर्वेदी

शांत रस | आधुनिक काल

 902  0

वही है धरा वही है अम्बर 

गुलाब खंडेलवाल

शांत रस | आधुनिक काल

 942  0



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