काव्यशाला - श्रृंगार रस की कविताएं

हिंदी साहित्य के श्रृंगार रस की कालजयी कविताओं का संकलन





मैं हूँ प्रेम रोगी

संतोषानन्द

शृंगार रस | आधुनिक काल

 1588  0

अधखुली कँचुकी उरोज अध आधे खुले

पद्माकर

शृंगार रस | रीतिकाल

 1846  0

चितवौ जी मोरी ओर

मीराबाई

शृंगार रस | भक्तिकाल

 1522  0

गाहि सरोवर सौरभ लै

महाकवि बिहारीलाल

शृंगार रस | रीतिकाल

 1190  0

मैं नहीं आया तुम्हारे द्वार

शिवमंगल सिंह 'सुमन'

शृंगार रस | आधुनिक काल

 1636  0

थोरी-थोरी बैस की अहीरन की छोरी संग

जगन्नाथदास 'रत्नाकर'

शृंगार रस | रीतिकाल

 1312  0

चहचही चुभकैँ चुभी हैँ चौँक

पद्माकर

शृंगार रस | रीतिकाल

 1266  0

बरवै नायिका-भेद

रहीम

शृंगार रस | भक्तिकाल

 1411  0

मेरा सजल मुख देख लेते

महादेवी वर्मा

शृंगार रस | आधुनिक काल

 1523  0

आय मिलौ मोहि

मीराबाई

शृंगार रस | भक्तिकाल

 1396  0

पायो जी म्हें तो राम रतन धन पायो

मीराबाई

शृंगार रस | भक्तिकाल

 1717  0

मन रे पासि हरि के चरन

मीराबाई

शृंगार रस | भक्तिकाल

 1334  0

अजब था उसकी दिलज़ारी का अन्दाज़ 

जॉन एलिया

शृंगार रस | आधुनिक काल

 1477  0

गोकुल की गैल, गैल गैल ग्वालिन की

जगन्नाथदास 'रत्नाकर'

शृंगार रस | रीतिकाल

 1276  0

तारे चमके, तुम भी चमको

गोपाल सिंह नेपाली

शृंगार रस | आधुनिक काल

 1429  0

खेलत फाग दुहूँ तिय कौ

महाकवि बिहारीलाल

शृंगार रस | रीतिकाल

 1118  0

रोज़ ख़्वाबों में आ के चल दूँगा

आलोक श्रीवास्तव

शृंगार रस | आधुनिक काल

 1216  0

वेला हुई संवत्सरा

सोम ठाकुर

शृंगार रस | आधुनिक काल

 1073  0

सौंह कियें ढरकौहे से नैन

महाकवि बिहारीलाल

शृंगार रस | रीतिकाल

 1128  0

रात आधी खींच कर मेरी हथेली

हरिवंश राय बच्चन

शृंगार रस | आधुनिक काल

 1583  0

आई बरसाने ते बुलाय वृषभानु सुता

देव

शृंगार रस | रीतिकाल

 1159  0

ब्रज के लता पता मोहिं कीजै

भारतेंदु हरिश्चंद्र

शृंगार रस | आधुनिक काल

 1046  0

लाजनि लपेटि चितवनि

घनानंद

शृंगार रस | रीतिकाल

 1170  0

लौ लगाती गीत गाती

नरेन्द्र शर्मा

शृंगार रस | आधुनिक काल

 1191  0

तोसों लाग्यो नेह रे प्यारे

मीराबाई

शृंगार रस | भक्तिकाल

 1318  0

नारी गही बैद सोऊ बेनि गो अनारी सखि

गयाप्रसाद शुक्ल 'सनेही'

शृंगार रस | आधुनिक काल

 1016  0

नेह के सन्दर्भ बौने हो गए होंगे मगर

कुमार विश्वास

शृंगार रस | आधुनिक काल

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कौन धौं सीखि ’रहीम’ इहाँ

रहीम

शृंगार रस | भक्तिकाल

 1222  0

तू पढ़ती है मेरी पुस्तक

गोपाल सिंह नेपाली

शृंगार रस | आधुनिक काल

 1557  0

रूप तुम्हारा

सोम ठाकुर

शृंगार रस | आधुनिक काल

 1565  0



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