एक नन्हा दीपक जलता है !

तिमिर के तम को हरने
घर से रोज निकलता है
ज्योति की प्रखरता थामे
वायु वेग से कहां डरता है
घर-अंगना-छत-मुंडेर-द्वार
रोशनी फैलाये चलता है
एक नन्हा दीपक जलता है !
 

खुद अंधकार में रहकर
दूसरों को प्रकाश देने
खुद जलकर दूसरों के
जीवन में खुशियां भरने
ना थकता कभी ना रुकता
अविराम साधना प्रतीक
माटी की काया के संग
ज्योति की आत्मा लिए
ज्योतिष्मती क्रांति करने
एक नन्हा दीप जलता है !
 

अमावस के श्यामपट पर
ज्योतिहारिणी अक्षरमाला
तमस को नि:शेष करने
अनगिनत तू्फानों से लड
ज्योति जग में बिखेरता है
एक नन्हा दीप जलता है !
 

ज्योर्तिमय दीप है निज में
सम्पूर्ण महाकाव्य महागाथा
बुद्धि का नव चिंतन लिए
नया क्षितिज जो दिखाता
जिन्दगी जीने का सलीका
दीपक की लौे हमें बताता है
एक नन्हा दीपक जलता है !
 

कल्याण‚ आरोग्य पुष्टि
आत्मतत्व की समदृष्टि
अन्तस तल में जागती
मनुष्य के प्रतिरुप भांति
आशा की किरण लिए 
नवआंगतुक मेहमान बन
द्वार-द्वार दस्तक देता है
एक नन्हा दीप जलता है !

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