
वो चाहता है खुदा बनाना मुझे
पहले सुनना और फिर बताना मुझे
ख़्वाबों में कौन सुनाता है तराना मुझे
रख के लबों पे सूरज के कुछ गर्म टुकड़े
कौन है वो जो बनाता है दीवाना मुझे
पहले भर दी अपनी सारी बद मस्तियाँ
फिर चाहता है निगाहों में बसाना मुझे
संगमरमरी बदन की तपिश से जला गया
फिर एक जनम तक भूल गया बुझाना मुझे
उसका नाम आते ही हिल उठता है महकमा
और फिर ये ज़माना बनाता है निशाना मुझे
दिल महल और जिस्म आलीशान मकां हो गया
न जाने कौन दे गया अपना सारा खज़ाना मुझे
ये फूलों की बारिश,खुशबुओं का चश्मा
कोई तो चाहता है चाँद सा सजाना मुझे
सारी ख्वाहिशें हो गईं पूरी एक ही रात में
जो भी है ,वो चाहता है खुदा बनाना मुझे