केवल मनोरंजन न कवि का कर्म होना चाहिए, उसमे उचित उपदेश का भी मर्म होना चाहिए। (श्री मैथिलि शरण गुप्त)
रुको ! वो आएँगे
1328 0
बहुत पढ़े लिखे आदमी हो भाई !
1602 0
मन
955 0
प्रतिमान
1050 0
लाशें गल गईं!
1076 0
बुढ़िया
992 0
आँसू
968 0
मैं कुंटल भर खाऊँगा
1024 0
राम को अंदर बुलाना है !
725 0