हौसला Saurabh Awasthi
हौसला
Saurabh Awasthiआज मैं कुछ भी नहीं
कल सब कुछ रहूँगा,
मैं तुम्हारी ज़ुबाँ से ही
कल सब बातें कहूँगा,
आज रोको मुझे
तुम कतरा समझ कर,
कल ज़िन्दगी सा बन कर
मैं दरिया बहूँगा।
आज हँसते हो मुझे
तुम कंकड़ समझ कर,
मैं बड़ा पर्वत हूँ
खड़ा होकर ही रहूँगा,
मैं आग हूँ
बुझा पाओगे मुझे?
मैं जला हूँ
तो उजाला करके ही रहूँगा।
मेरी मजबूरियों
कितना भी रोको मुझे,
मैं आवाज़ हूँ
आज़ाद वक़्त की,
जो कहना है
वो कह कर ही रहूँगा,
काट सकते हो
तो काटो पर मेरे,
मैं हौसला हूँ
मैं तो उड़ कर ही रहूँगा।