शराब जैसे अश्क भी अब नमकीन हो गए RAHUL KUMAR BHARATI
शराब जैसे अश्क भी अब नमकीन हो गए
RAHUL KUMAR BHARATIइस कदर ग़म में डूबे की ग़मगीन हो गए,
शराब जैसे अश्क भी अब नमकीन हो गए।
भूल बैठे अपने ग़म में वो हमारी हालत,
अमर्ष हमसे जैसे कोई संगीन हो गए ।।
देखकर उनका मंज़र रूह भी आह लेता,
गर दिखाते अपनापन तो मैं भी साथ देता।
मगर हाय! वो इतने कैसे आफरीन हो गए,
शराब जैसे अश्क भी अब नमकीन हो गए।।
एक ही थे तराने एक ही थी कहानी,
एक ही थी मुकम्मल प्यारी सी जिंदगानी।
कैसे हादसे हुए? हम ढाक तीन हो गए,
शराब जैसे अश्क भी अब नमकीन हो गए।।
अब समेटें दर्द अपने बन गए हम पराए,
अनेक अनुभवों से वो हमारा परिचय कराए।
वो भूल बैठे राहुल के बुरे दिन हो गए,
शराब जैसे अश्क भी अब नमकीन हो गए।।