हमारी धरती माँ SATISH KUMAR AGARWAL
हमारी धरती माँ
SATISH KUMAR AGARWALयह वो धरती है,
जहाँ डाकू भी महाॠषि बन जाते थे,
हम तो फिर इन्सान हैं,
यहाँ शैतान भी भगवान बन जाते थे।
वही दस्तूर आज भी यहाँ कायम है,
पर आज शैतान भगवान बनता तो है,
पर असल में,
वो और भी बड़ा हैवान बन जाता है।
ज़रा सोचिए ऐसे हैवान के लिए,
कहाँ से हम एक शिव लाएँ,
जो भस्मासुर को पैदा भी करे,
और उसे भस्म भी कर सके।
तुम अगर चाहो, तो तुममें से हर एक,
एक-एक शिव हो सकता हो,
क्योंकि इन आज के भस्मासुरों को,
पैदा करने का श्रेय तुम्हारा ही तो है।
और तुममें वो शिव-शक्ति है,
ज़रा उसे पहचानो और फिर देखो,
यह धरती माँ, कैसे फिर से,
शैतानों को असली देवता बनाती है।