फुटपाथों की तसवीर Gaurav Rajput
फुटपाथों की तसवीर
Gaurav Rajputये बेज़ुबाँ तस्वीर,
जाने क्या कहती है,
अजीब सा वीरानापन,
सिर्फ खामोशी है।
कुछ बस्ती हैं
पर रास्ते नहीं,
घरों में चूल्हे हैं
पर धुएँ क्यों उठे,
आखिर ये तस्वीर है।
कुछ ऐसे भी तस्वीर
जहाँ रास्ते ही रास्ते,
यहाँ भूख है, खाना नहीं,
तन हैं पर कपड़े नहीं।
कोई इसे ढके क्यों,
आखिर ये तस्वीर है।
ये तो दिखती है,
तो कभी बिकती है,
अमीरों के कूड़ेदान पर टंगी
ये फुटपाथों की तस्वीर
जाने क्या कहती है।
ये ना हँसती है,
ना ही रोती है,
कभी यहाँ आती
कभी वहाँ जाती,
बस खामोश है,
आखिर ये तस्वीर है।