यमुना को बचाओ Puneet Kumar
यमुना को बचाओ
Puneet Kumarहिमालय के कलिंद पर्वत से निकलकर
मैं मदमस्त बहती जा रही थी,
मनुष्य द्वारा की गई हर भूल को
मैं सहती जा रही थी,
और इस कूड़े की चादर
ओढ़ कर मैं रोती जा रही थी।
बस अब बहुत हुआ,
मेरे इस पाक आँचल को
और गन्दा मत करो।
हे मानव तुम यमुना में
कूड़ा फेकना बस अब बंद करो।
करोगे यमुना की सफाई
तो भारत का कण कण रोशन होगा,
गन्दा नाला बन गई ये यमुना का
फिर से देवियों की भाँति पूजन होगा।
आओ हम सब शपथ लें
कि यमुना को मिलकर साफ़ करेंगे,
काले पानी के इस ढेर को फिर से
पवित्रता के रंगों से भर देंगे।