परिंदे  guddu singh kundan

परिंदे

guddu singh kundan

आसमान में उड़े परिंदे
धरती से कोसों दूर,
नीले अंबर में छिप जाते
घने काले बादलों के बीच।
 

पंख फैलाए बढ़ता जा
न रुकना थक कर तू,
आगे खड़ी है अपनी मंज़िल
हौसलों को कर लो मजबूत,
आसमान में उड़े परिंदे।
 

अपनी तेज़ रफ्तार से
हवाओं को तू चीरता जा,
मन में उत्पन्न जब हो शंका
ईश्वर का तू ध्यान लगा,
है हौसला अपनी मुट्ठी में
कठिनाइयों से तू निडर हो जा,
आसमान में उड़े परिंदे।
 

सबका दाता सबका मालिक
ईश्वर, अल्लाह न रखता खाली,
कर्म करते जा तू बन्दे
फल की चिंता ईश्वर रखते,
आसमान में उड़े परिंदे।

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