प्रणय निवेदन Sugandha Tripathi
प्रणय निवेदन
Sugandha Tripathiप्रणय निवेदन स्वीकार करो,
इस निष्प्राय जीव में
प्राणों का संचार करो,
प्रणय निवेदन स्वीकार करो।
तुम बरिश की बूंदें मैं हूँ तपता थार,
इस मरुस्थल जीवन में
प्रेम की बौंछार करो,
प्रणय निवेदन स्वीकार करो।
बाण सरीखे नयन तुम्हारे
कपास सा मृदु मन मेरा,
मन पर नैनों से ना आघात करो
प्रणय निवेदन स्वीकार करो।
तुम सुमन-सुंगधा मैं कांति "दीप"
एक दूजे का जीवन फूलों से महकाएँ,
दीपों सा चमकाएँ,
इस मधुर मिलन की शुरूआत करो
प्रणय निवेदन स्वीकार करो।