शिव!  ABHISHEK TIWARI

शिव!

ABHISHEK TIWARI

ज्ञान भी वो अप्राप्त अज्ञान भी है,
योगियों का वह ध्यान भी है,
हर गर्भ का वह म्यान भी है,
स्वयं का वह कल्याण भी है।
 

भूलोक का वह सार भी है,
विभूतियों में ओमकार भी है.
प्रकाश है वो अंधकार भी है,
जन्मे तो अवतार भी है।
 

अनंत सूर्यों का ओज भी है,
हर प्राणी की वह खोज भी है,
स्वतंत्र है सर्व भाव से वो,
जटिल प्रपंच के मिलाव से वो।
 

निराकार पर मात्र उसका अस्तित्व है,
सर्वत्व में वही एक तत्व है,
शांत पर वही बज रहा है,
सनातन जिसका ध्वज रहा है।
 

इस बुद्धि का वह पितृ है,
सर्वानंद उसका मित्र है,
क्या बताऊँ वह कौन है,
स्वयं को जाना नहीं इसीलिए वह मौन है।

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