ज़िन्दगी  Sapna Bhandari

ज़िन्दगी

Sapna Bhandari

ज़िन्दगी बाध्य तो नहीं
आपको जब जो चाहे देने को,
और जीवन में कोई बाध्य नहीं
आप जो सुनना चाहें कहने को।
 

पर ना जाने ये मासूम दिल
ख्वाहिश क्यों ऐसी रखता है,
हर पल मर्ज़ी की करने को,
हर पल मर्ज़ी की करने को।
 

हर कोई खुश रहना चाहता है,
पर जब बात हो खुश रखने की
तो यह संभव नहीं हो पाता है,
तो यह संभव नहीं हो पाता है।
 

हर एक की कुछ मजबूरी है,
कोई आदत कोई कमजोरी है,
खुद को ही बस समझाना है
हर पल कैसे मौज़ मानना है,
और आगे बढ़ते जाना है,
और आगे बढ़ते जाना है।

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