अकेलापन...एक पड़ाव ज़िन्दगी का Shikha Vivek Upadhyay
अकेलापन...एक पड़ाव ज़िन्दगी का
Shikha Vivek Upadhyayअकेलेपन का रुख सा अख्तियार कर लिया है ज़िन्दगी ने,
दीवारों से बातें करना सीख लिया है ज़िन्दगी ने,
आँसुओं को पानी के साथ बहाना सीख लिया है ज़िन्दगी ने,
खुद को खुद की आदत डालना सीख लिया है ज़िन्दगी ने।
ये सीखना उतना आसान भी ना था,
इच्छाओं को अंदर ही मार देना आसान ना था,
हर खुशी को खुद में समेट लेना भी आसान ना था,
वक़्त की माँग इंसान से सब कुछ करा देती है,
जीते हुए इंसान को पत्थर बना देती है।