कोशिश...एक आशा Shikha Vivek Upadhyay
कोशिश...एक आशा
Shikha Vivek Upadhyayजो पाया उसका गुरूर क्या करना,
जो खोया उसका अफसोस क्या करना,
ज़िन्दगी के सफर में चलते जाना है,
हर मोड़ पे एक नया रास्ता तलाशना है।
जो आने वाली सुबह अपनी सी ना लगे,
उस शाम को अपना बनाने की कोशिश में लग जाना है,
ज़िन्दगी के सफर में चलते जाना है,
हर मोड़ पे एक नया रास्ता तलाशना है।
जो ढलता है सूरज तो चाँद निकलता तो है,
क्या हुआ जो आज हार गए,
तुम्हारे जीत का भी एक दिन आना है,
पतझड़ में गए जो पेड़ से पत्ते उन्हें सावन में लौट के आना है।
क्या हुआ जो कोई छोड़ गया तुम्हें,
जो तुम्हारा अपना है उसे तो एक दिन लौट के आना है,
जो सूखी नदिया उन्हें बरसात में फिर भर जाना है।
क्या हुआ जो आज खाने को रोटी नहीं है,
करो पूरी मेहनत, एक दिन सफलता के शिखर पे जाना है,
ज़िन्दगी के सफर में चलते जाना है,
हर मोड़ पे एक नया रास्ता तलाशना है।