तेरी याद  JASPAL SINGH

तेरी याद

JASPAL SINGH

आज मैं फिर से तेरी याद भुलाने निकला,
जैसे शीशे से मेरा अक्स मिटाने निकला।
 

रुख-ए-तूफान था फिर भी समंदर में गया,
डूबी हुई किश्ती को मैं पार लगाने निकला।
 

उसको पा भी ना सका और भुला भी ना सका,
जो मेरे पास नहीं उसको गँवाने निकला।
 

सर्द रातों में भी कुछ कम ना हुई दिल की जलन,
आँसू पी पी के लगी आग बुझाने निकला।
 

रूह छलनी है, बदन छलनी, जिगर छलनी है,
दिल है जख्मों से भरा दर्द मिटाने निकला।
 

कत्ल कब से हुआ बस लाश लिए फिरता हूँ,
दफ्न कबरों से अभी आज ज़माने निकला।

अपने विचार साझा करें




0
ने पसंद किया
1010
बार देखा गया

पसंद करें

  परिचय

"मातृभाषा", हिंदी भाषा एवं हिंदी साहित्य के प्रचार प्रसार का एक लघु प्रयास है। "फॉर टुमारो ग्रुप ऑफ़ एजुकेशन एंड ट्रेनिंग" द्वारा पोषित "मातृभाषा" वेबसाइट एक अव्यवसायिक वेबसाइट है। "मातृभाषा" प्रतिभासम्पन्न बाल साहित्यकारों के लिए एक खुला मंच है जहां वो अपनी साहित्यिक प्रतिभा को सुलभता से मुखर कर सकते हैं।

  Contact Us
  Registered Office

47/202 Ballupur Chowk, GMS Road
Dehradun Uttarakhand, India - 248001.

Tel : + (91) - 8881813408
Mail : info[at]maatribhasha[dot]com