जा जी ले अपनी ज़िंदगी Krishn Upadhyay
जा जी ले अपनी ज़िंदगी
Krishn Upadhyayमैं तो हार गया तुझे समझा करके,
तू देख मैं कितना अकेला हूँ तुझसे प्यार करके,
कितनी ही कोशिश की मैंने
लेकिन तूने मुझे अपना जाना नहीं,
मैंने अपनी साँसें गिरवी रख दी,
पर तूने मेरे प्यार को पहचाना ही नहीं,
वादा है अब कभी ना तुझसे हम प्यार की बात करेंगे,
जो हमारे प्यार को तरस रहे हैं,
अब उन्हीं पर अपने प्यार की बरसात करेंगे,
करें भी तो क्या करें जब मेरा प्यार तुझे नहीं भाता,
तेरी मर्ज़ी मैं क्या करूँ जब तू ही मेरा होना नहीं चाहता,
गलती की जो की तुझ संग बंदगी,
आज जो तू चाहती थी वही कहता हूँ,
जा जैसे चाहे जी ले अपनी ज़िंदगी।