दिल की मुश्किल Aman Sharma
दिल की मुश्किल
Aman Sharmaदिल की मुश्किल हर बार लिखी हर बार कही,
कभी साथ थी वो कभी साथ नहीं।
कभी जैसे वो ख्वाब एक सुनहरा हो,
कभी जैसे पतझड़ के मौसम को बादल ने आकर घेरा हो।
कभी रात की बारिश गीला कर मन को जैसे ठिठुराती है,
हाँ शाम ढले मन में भीतर शीतल सी चुभन दे जाती है।
दिल की मुश्किल ना तुमने सुनी ना हमने कही,
तुम जैसे इक छाया सी, हर रूप तुम्हारा कायल सा।
तुम जैसे लफ्ज़ो में बहकी, हर बात तुम्हरी मीठी सी,
तुम जैसे याद पुरानी इक, हर साथ तुम्हरा प्यारा सा।
तुम जैसे मीत हो बचपन का, हर राह तुम्हारी पहली सी,
दिल की मुश्किल हर बार लिखी हर बार कही,
कभी साथ थी वो कभी साथ नहीं।