गजानन Premlata tripathi
गजानन
Premlata tripathiगजानन आए मेरे द्वार,
सजाना उनका है दरबार।
मातु पिता हैं गौरी शंकर,
गज मुख सुंदर मूषक वाहन,
माँ गौरी के प्यारे लालन,
लेकर कार्तिकेय संग प्यार,
गजानन आए मेरे द्वार,
सजाना उनका है दरबार।
भोला बचपन नटखट चितवन,
चतुर सयानें शांति निकेतन,
जग के करते संताप हरण,
अद्भुत तेरा सजा संसार,
गजानन आए मेरे द्वार,
सजाना उनका है दरबार।
विघ्नहरण सब कष्ट निवारे,
घर-घर में हो पूज्य हमारे,
है नाम तुम्हारा मंगलमूर्ति,
करते खुशियों की बौछार,
गजानन आए मेरे द्वार,
सजाना उनका है दरबार।