वादा  Huma Shah

वादा

Huma Shah

उस आखरी लम्हे में,
जब दिन, महीने, साल,
हायल होने वाले थे हमारे दरमियान,
उसने मुझसे कहा था,
याद मत करना मुझे
भूल जाना तुम हमेशा के लिए,
और मैंने भी वादा कर लिया था उस बात का
जो मुमकिन ही नहीं थी मेरे लिए।
और अब उसे भूल जाने की सई करते-करते
वो मुझे इस क़द्र याद हो गया है,
कि भूलने लगी है याददाश्त मेरी,
मैं भूलने लगी हूँ उसकी बेवफाई को,
उसकी कमज़ोर दलीलों को,
अपनी अना की फ़सीलो को,
दिल भूल गया है उसकी हर खता
उसकी हर ज़्यादती,
देखो मैंने वादा निभाया
वादे की पक्की हूँ मैं।

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