गीत Premlata tripathi
गीत
Premlata tripathiसुनों मीत तुमको भुलाना कठिन है,
तुम्हें श्याम सुंदर जताना कठिन है।
कली सी खिले मन जहाँ रीझते थे,
मगन माधुरी में रहे भीगते थे,
नयन जो नयन से हृदय भाव पढ़ते,
कहीं लौट वह मान आना कठिन है,
तुम्हें श्याम सुंदर जताना कठिन है।
मधुर रागिनी में कदम्बन न छैंया,
बजे बाँसुरी हो कहाँ तुम कन्हैया,
कहाँ गोपिका राधिका और गैया,
वही कूल यमुना सजाना कठिन है,
तुम्हें श्याम सुंदर जताना कठिन है।
जगत रीत तुमनें निभाई गजब थी,
नयन जल पखारे मिताई गजब थी,
महल छोड़ गउएं चराई लगन से,
सुखद सार जो आज पाना कठिन है,
तुम्हें श्याम सुंदर जताना कठिन है।
नहीं प्यार बाँटे गली गाँव में सब,
पले युद्ध आतंक के छाँव में सब,
बना जग लुटेरा लहू का पुजारी,
नयन जो झुके वह उठाना कठिन है,
तुम्हें श्याम सुंदर जताना कठिन है।