भारतवर्ष guddu singh kundan
भारतवर्ष
guddu singh kundanकई भाषाओं का संगम यहाँ,
ऐसा भारतवर्ष हमारा है,
ऋषि-मुनी की यह पावन धरती,
जहाँ राम और कृष्ण का बचपन बीता है।
रंग-रूप का कोई भेद नहीं,
हर पुष्प से सुगंध बिखरी है,
गंगा का स्वच्छ निर्मल जल पी कर,
कुँवर सिंह ने फिरंगियों को धूल चटाया है।
दूर कहीं बैलों की घंटी,
खेतों में सरसों की खुशबू,
खुली हवा की बात ही अलग है,
सबसे अलग यह भारत वर्ष है।