आवाज़  Smita Abhishek Khandelwal

आवाज़

Smita Abhishek Khandelwal

गर कहीं आवाज़ आए, दूरियों से साज़ आए,
चाहतों की रोशनी में चमचमाते पास आए,
डूबता है आज कोई वक़्त के हालात में,
फिर कहीं जा कर थमे वो राह के उस राज़ में,
पल जो लहरों सा कभी फिर लोट के मन में वो आए,
गर कहीं आवाज़ आए, दूरियों से साज़ आए।
 

मीठी सी मुस्कान ऐसी, मन की है पहचान ऐसी,
मान लो के आज है हर पल में आपने ही समाएँ,
गर कहीं आवाज़ आए, दूरियों से साज़ आए।
 

ग़ौर से देखो ज़रा उस आसमा के चाँद को,
बादलों सी धूप में सागर की लहरों को हिलाए,
रोकता है कौन, मन के बाँध को खुलने तो दो,
राह तो राही के साए, मन के साए....
गर कहीं आवाज़ आए, दूरियों से साज़ आए।

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