कई बरस हैं बीत गए BRIJ BHUSHAN YADAV
कई बरस हैं बीत गए
BRIJ BHUSHAN YADAVकई बरस हैं बीत गए, रोज़ आती हो मेरे ख्वाबों में,
पल पल ढूँढ़ रहा हूँ तुमको कांटों भारी इन राहों में,
तड़प उठे हैं नैन मिलन को अब और इन्हें तड़पाओ ना,
महबूब मेरे दिखावे में ही सही कभी तो मिलने आओ ना।
मौसम का रूत है बेगाना, मन बहके इन मस्तानी हवाओं में,
बिखर ना जाऊँ टूट कर समेट लो तुम अपनी बाहों में,
करती हो प्यार तुम सिर्फ मुझसे दुनिया वालों को बतलाओ ना,
महबूब मेरे दिखावे में ही सही कभी तो मिलने अाओ ना।
चैन से जी ना पाउँगा अब नींद ना आए रातों में,
मैं दिल का टुकड़ा भी दे दूँ तेरे प्यार की सौगातों में,
तुम मुझसे मिलने आओगी अब मेरे दिल को समझाओ ना,
महबूब मेरे दिखावे में ही सही कभी तो मिलने अाओ ना।