छंद Premlata tripathi
छंद
Premlata tripathiसम शीतल वारिद बूँद लगे मन अंतर ज्ञान विभासित हो,
धन वैभव मान दिला न सके बस कर्म पुनीत सुशासित हो।
मख धूम उठे जन मानस में सब वीर सुधीर सुवासित हों,
शुचि सूक्ति सुधा सुविचार भरे मन ध्यान सुभाष पिपासित हों।
दिन बीत गये हरषे सरसे अब शीत बढी़ सिहरे अँगना,
किरणें रवि गात सजे विहँसे नित गाँव गली विहरेअँगना।
चटका खग वृंद विलास करें फिर शीत बयार चलेअँगना,
धन काँपि रही तन ढाँकि रही दुख दारुण दीन गले अँगना।
दुर्मिल सवैया - (24 वर्ण सलगा 8)
वर्णिक मापनी - 112 112 112 112 112 112 112 112